रह गई दिल में अधूरी ,हर खुशी तेरे बगैर..,
कैसे खुश रह कर गुजारूं, ज़िन्दगी तेरे बगैर..!
या खुदा को इलम हे या मैं समझता हूँ इससे..,
जो कमि महसूस होती हे मुझे तेरे बगैर..!
कैसे काटेंगे वो तन्हा अपनी सारी ज़िन्दगी..,
इक पल जिसने ना काटा हो कभी तेरे बगैर..!
क्या बताऊँ किस कदर फीके नज़र आने लगे.,
चाँद तारों में नहीं वो रौशनी अब तेरी बगैर..!
तेरी यादों के तेरे रंगीन ख्यालों के सहारे ,
नाम को जिंदा है "subhi" आज भी तेरे बगैर..!!
tere
Wednesday, June 3, 2009
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