Sunday, December 13, 2009

Ruka dena mera janaaza jab unka ghar aaye, Shaayad woh dekh le khidki se aur mera dil Dhadak jaaye
हँस के जीवन काटने का, मशवरा देते रहे आँख में आँसू लिए हम, हौसला देते रहे. धूप खिलते ही परिंदे, जाएँगे उड़, था पता बारिशों में पेड़ फिर भी, आसरा देते रहे
जो भी होता है, वो अच्छे के लिए होता यहाँ इस बहाने ही तो हम, ख़ुद को दग़ा देते रहे साथ उसके रंग, ख़ुश्बू, सुर्ख़ मुस्कानें गईं हर खुशी को हम मगर, उसका पता देते रहे चल न पाएगा वो तन्हा, ज़िंदगी की धूप में
उस को मुझसा, कोई मिल जाए, दुआ देते रहे मेरे चुप होते ही, किस्सा छेड़ देते थे नया इस तरह वो गुफ़्तगू को, सिलसिला देते रहे

मेरे चुप होते ही, किस्सा छेड़ देते थे नया इस तरह वो गुफ़्तगू को, सिलसिला देते रहे पाँव में जंज़ीर थी, रस्मों-रिवाज़ों की मगर ख़्वाब ‘ उम्र-भर फिर भी सदा देते रहे
मुश्किलें आईं अगर तो, फ़ैसला हो जाएगा कौन है पानी में कितने, सब पता हो जाएगा दूरियाँ दिल की कभी जो, बढ़ भी जाएँ तो हुज़ूर तुम बढ़ाना इक कदम, तय फासला हो जाएगा

सोनी की बात

aankh roti hai honth haste haidil ke badal yunhi baraste haikhud hasee de na paye to hum perbadmizazi ke tane kaste hai chalni dil aur jigar huaa hai jnhawo muhobbat ke paak raste haisabra ka mere imtihaan yu liyasalam karte hi bole chalo nikalte hai suna hai dosto pe shaq hai unhe so raqeebo ko sath rakhte haimeri galiyo mai bahot aate hai muh chhupa kar ke ab wo chalte haiqatl karne se pehle khush they magarmar gaye hum to hath malte haishamma ek bar jali shar talak bujh bhi gayiteri yado ma hum to subah sham jalte hai

Friday, December 4, 2009

तुम भी चले गए

आँखों में बस के दिल में समा कर चले गये ख़्वाबिदा ज़िन्दगी थी जगा कर चले गये चेहरे तक आस्तीन वो लाकर चले गये क्या राज़ था कि जिस को छिपाकर चले गये रग-रग में इस तरह वो समा कर चले गये जैसे मुझ ही को मुझसे चुराकर चले गये आये थे दिल की प्यास बुझाने के वास्ते इक आग सी वो और लगा कर चले गये लब थरथरा के रह गये लेकिन वो ऐ "subhi" जाते हुये निगाह मिलाकर चले गये